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सांसद आदर्श ग्राम - महिलौंग

Overview

On 17th September 2016 Shri Mahesh Poddar Honorable Member of Parliament (Rajya Sabha) selected Mahilong village to develop as Ideal village under Sansad Adarsh Gram Yojna (SAGY). Immediately on the following day  honorable MP visited the village to obtain geographical, social, educational information about the village.

Mahilong is a large village located in Namkum Block of Ranchi district, Jharkhand with total 917 families residing. The Mahilong village has population of 4371 of which 2225 are males while 2146 are females as per Population Census 2011.

In Mahilong village population of children with age 0-6 is 594 which makes up 13.59 % of total population of village. Average Sex Ratio of Mahilong village is 964 which is higher than Jharkhand state average of 948. Child Sex Ratio for the Mahilong as per census is 874, lower than Jharkhand average of 948.

Mahilong village has higher literacy rate compared to Jharkhand. In 2011, literacy rate of Mahilong village was 75.24 % compared to 66.41 % of Jharkhand. In Mahilong Male literacy stands at 85.43 % while female literacy rate was 64.85 %.

As per constitution of India and Panchyati Raaj Act, Mahilong village is administrated by Sarpanch (Head of Village) who is elected representative of village.

All the figures above are from Census 2011

सांसद आदर्श ग्राम : महिलौंग

1.    17  सितम्बर 2016 को सांसद आदर्श ग्राम के रूप में महिलौंग ग्राम पंचायत का चयन किया गया।

2.    राजधानी एवं रांची जिले का हिस्सा होने और राजधानी क्षेत्र से करीब होने के बावजूद यह पंचायत लगभग सभी मानकों पर पिछड़ा हुआ था। ग्रामीण सड़कों का बुरा हाल था। पंचायत के ज्यादातर टोले विद्युतीकृत नहीं थे। खुले में शौच सामान्य परिपाटी थी। युवा वर्ग नशे की गिरफ्त में था और महिलाएं चूल्हा–चौकी या मजदूरी तक सीमित थीं। कृषि मुख्य पेशा था, लेकिन उन्नत खेती से पंचायत के लोगों का कोई सरोकार नहीं था। सिंचाई के साधन भी नगण्य थे। सरकारी योजनाओं की जानकारी लोगों को नहीं थी और उनका लाभ उठाने के लिए जरुरी जागरूकता का भी सर्वथा अभाव था।

3.    सांसद आदर्श ग्राम के रूप में चयन के बाद ग्राम विकास योजना (विलेज डेवलपमेंट प्लान, वीडीपी) बनाने के क्रम में लगातार हुई ग्राम सभाएं और रांची के सर्ड में ग्रामीणों का प्रशिक्षण काम आया। ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं और अपने अधिकारों के बारे में जानकारी मिली और अपने पंचायत को आदर्श बनाने के लिए उनमें दायित्व बोध भी आया।

4.    वीडीपी के अनुरूप काम करते हुए पंचायत की सभी 14 सड़कें बनीं। आज पूरे पंचायत में कोई भी सड़क या गली कच्ची नहीं है। एक पुरानी सड़क का निर्माण मैं अपने सांसद निधि से करा रहा हूं, जिसे वीडीपी में शामिल होने के बाद भी ग्रामीण विकास विभाग ने छोड़ दिया था।

5.    पूरे पंचायत का विद्युतीकरण कर लिया गया है, और अब पंचायत के हर घर में बिजली का कनेक्शन है।

6.    पंचायत की हर गली में स्ट्रीट लाइट लगाई गयी है और अधिकांशतः स्ट्रीट लाइट सौर ऊर्जा के माध्यम से रोशन हैं। पंचायत में ग्रामीणों की मांग के अनुरूप शिविर लगाकर एलईडी बल्ब वितरित किए जाते हैं।

7.    महिलौंग पंचायत के होरहाप गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड किया गया है, और अब वहां प्राथमिक/रेफरल स्तर की हर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा मेरे सांसद फण्ड से एक एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई है, जो कि आपात स्थिति में काम आती है। ख़ास बात यह है कि एम्बुलेंस का रखरखाव पंचायत की एक समिति ही करती है और उसके लिए आवश्यक नियमित खर्च का इंतजाम भी करती है। स्वास्थ्य विभाग पंचायत में नियमित अंतराल पर स्वास्थ्य मेला/शिविर लगाकर स्वास्थ्य जांच करता है और दवाएं मुहैया कराता है। आंगनबाड़ी केंद्र और स्वास्थ्य केंद्र में टीकाकरण की सम्पूर्ण सुविधाएं उपलब्ध है। साथ ही मेरे निजी प्रयास से लायंस क्लब, सेन्ट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड आदि संस्थाएं भी वहां नियमित अंतराल पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर लोगों की स्वास्थ्य जांच करती हैं और दवाएं उपलब्ध कराती हैं। मोतियाबिंद के ऑपरेशन भी समय–समय पर किए जाते हैं और दिव्यांगों को कृत्रिम अंग भी उपलब्ध कराए जाते हैं।

8.    लोगों को जागरूक करने और जन सुविधाएं पहुंचाने के लिए भी नियमित तौर पर शिविरों का आयोजन किया जाता है। मसलन, स्वयंसेवी संस्था झारखण्ड फाउंडेशन के माध्यम से लोगों को सूचना के अधिकार की जानकारी दी गई। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा पंचायत के किसानों को “अमृत कृषि” का प्रशिक्षण दिया गया। विजया बैंक की ओर से शिविर लगाकर ग्रामीणों के बैंक खाते, विशेषकर जन-धन खाते खुलवाए गए। शिविर लगाकर लोगों के आधार कार्ड बनवाए गए और विसंगतियां सुधारी गईं। भूमि विवादों को नियंत्रित करने और पंचायत के लोगों को बिचौलियों से बचाने के लिए शिविर लगाकर जमीन रजिस्ट्री, जमीन के दस्तावेजों में सुधार और लगान रसीद कटाने की सुविधा दी गई।

9.    ग्रामीणों में आई जागरूकता के फलस्वरूप पूरा महिलौंग पंचायत खुले में शौच से मुक्त हो गया है। हर घर में शौचालय है और हर शौचालय पर ख़ूबसूरत चित्रकारी कर घर को इज्जत देने का प्रयास किया गया है। पंचायत में हाट के समीप एक सामुदायिक शौचालय का निर्माण भी कराया गया है।

10.  शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पंचायत के प्राथमिक विद्यालय को मिडिल स्कूल के तौर पर उत्क्रमित (अपग्रेड) किया गया है। अब इस स्कूल को हाई स्कूल में अपग्रेड करने की तैयारी है।

11.  पेयजल का प्रबंध इस पंचायत के लिए वाकई बड़ी चुनौती थी। फिलहाल सोलर जल मीनारों के माध्यम से पंचायत में जगह–जगह जलापूर्ति की जा रही है। खुले में शौच से मुक्त होने के पारितोषिक स्वरुप राज्य सरकार पाइप के माध्यम से जलापूर्ति की व्यवस्था कर रही है जिसका टेंडर हो चुका है, काम जारी है और जल्दी ही पंचायत के हर घर को नल से पेयजल मिलेगा।

12.  पंचायत के हर पात्र परिवार को उज्ज्वला का गैस कनेक्शन मिल चुका है और अब यह पंचायत धुंए से भी पूरी तरह मुक्त है।

13.  महिलाओं में आई जागृति का परिणाम है कि पूरा पंचायत लगभग नशामुक्त हो चुका है। इसके लिए महिलाओं ने कई बार रैलियाँ निकाली, शराब भट्ठियों को ध्वस्त भी किया। जागरूक महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया और कई महिला समूह बनाए गए। आज पंचायत की महिलाएं मशरूम उत्पादन कर रही हैं, “दीदी कैफे” के नाम से रेस्टोरेंट चला रही हैं। इसके अलावा भी स्वरोजगार के कई उपक्रम चला रही हैं। समीप के हाईवे पर स्थित तालाब का सौन्दर्यीकरण कर वहां की खाली जमीन पर मार्केटिंग शेड बनाया गया है, जहां महिलाएं ग्रामीण उत्पाद बेच रही हैं।

14.  पर्यावरण के प्रति जागरूकता आयी है। हर साल औसतन 200 – 300 फलदार वृक्षों के पौधे लगाए जाते हैं और पंचायत की समिति ही उनकी देखरेख करती हैं।

15.  खेती के तौर तरीके उन्नत हो गए हैं। लगभग सभी किसानों ने अपने खेतों की मिट्टी जांच कराई है। नियमित तौर पर किसानों को खाद–बीज उपलब्ध कराये जाते हैं। फसल बीमा का लाभ हर किसान को उपलब्ध कराया जाता है। सिंचाई के लिए 25 डोभा और 10 सिंचाई कूप का निर्माण कराया गया है। लिफ्ट इरीगेशन की एक परियोजना भी निर्माणाधीन है।

16.  सेन्ट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड के सीएसआर फण्ड से पंचायत भवन में ही एक पुस्तकालय सह वाचनालय स्थापित किया गया है। पुस्तकालय का प्रबंधन पंचायत के ही एक सेवानिवृत शिक्षक के नेतृत्व में पंचायत की समिति करती है।

 

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